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महिलायें और अंतरजाल
“भैया, अपने कंप्यूटर पर जरा ट्रेन के टिकट कटवा
दो, अच्छू बाबु एजेंट का फ़ोन ही नहीं लग रहा”
“हर दिन क्या नया डिश
बनाऊं, उफ़!”
“बिटिया इन दोनों कैटलौग के
सिवा मुझे नयी डिजाइन तो आती नहीं”
“उफ़, शरीर में हो रहे इन
बदलावों के बारें में किससे पुछूँ?”
“मैं अकेली अब बैंक कैसे
जाऊँ?”
“बच्चे के लिए कौन सा
विषय/कॉलेज सही होगा”......
ऐसे हर दिन की अनगिनत समस्याएं होती हैं जो
इन्टरनेट की अनभिज्ञता के चलतें महिलायें खुद को पराश्रित और असहाय समझती हैं. एक
धारणा सी है कि इन्टरनेट और कंप्यूटर तो सिर्फ पुरुष ही चला सकते हैं. शहरी क्षेत्रों
में तो फिर भी कुछ प्रतिशत महिलाओं को कंप्यूटर और इन्टरनेट का ज्ञान होगा,
ग्रामीण इलाकों में तो नगण्य है. विश्व पटल पर जनसँख्या की दृष्टि से भारत दुनिया
में दूसरे स्थान पर है, चीन के बाद इन्टरनेट इस्तेमाल करने में. पर वास्तव में देश
के २६% लोग ही इन्टरनेट का इस्तेमाल करतें हैं और इसमें महिलाओं का प्रतिशत लगभग
३०% है.
महिलायें किससे मदद लें-
सबसे पहले तो घर में जो जानता
हो, उसकी मदद लें. हो सके तो कंप्यूटर का कोई बेसिक सा कोर्स कर लें.
पहले क्या जाने-
कंप्यूटर को शुरू और बंद
करना.
स्क्रीन का रंग और चमक सही
करना
आवाज,घडी,फॉण्ट साइज़ को
एडजस्ट करना जानें.
स्क्रीन का रूप बदलना, वेब
कैमरा शुरू करना
वाई-फाई और डेटा की जानकारी
होना.
इन्टरनेट ब्राउज़र से
इन्टरनेट पर जाना.
मनपसंद वेबसाइट और विडियो खोजना
और खोलना.
ईमेल भेजना व खोलना.
पेज बुक मार्क करने आना
चाहिए.
और हानिकारक मेल से कैसे
सावधान रहें.
सोशल-मीडिया का उपयोग बहुत सोच
समझ कर ही करनी चाहिए. पहले उसके फीचर्स और सेटिंग्स को समझें. इस प्लेटफार्म को
यदि सही तरीके से उपयोग किया जाए तो व्यक्तित्व विकास में ये सहायक होगा. सिर्फ
फोटो लोड करने और देखने के इतर भी इससे लाभ लिया जा सकता है. ये व्यक्ति को अपने
विचार अभिव्यक्त करने के लिए एक मंच देता है. हमख्याल और सम रूचि वालों की संगत
में अभिरुचियाँ समृद्ध होती हैं. बहुत सारे क्लोज्ड ग्रुप भी होतें हैं. पर
अनजानों और अजनबियों के साथ आपका व्यवहार कैसा हो ये सुनिश्चित करना जाने. मनबहलाव
की जगह सार्थक सकारात्मक प्रयोग करें. इसे साध एक अच्छा सेवक बनायें न कि मालिक.
स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मशहूर मनोचिकित्सक एलियस एब्यूजौद ने एक इंटरव्यू में
कहा है कि हर व्यक्ति की ऑनलाइन पर्सनालिटी उसके वास्तविक व्यक्तित्व से बहुत अलग
होता है. अत: नव्य अंतरजाल यूजर महिलायें इस बात का अवश्य ध्यान रखें.
इन्टरनेट पर क्या करें
इन्टरनेट हमारे लिए ज्ञान और
सूचना के दरवाजे को खोलता है. वो महिलायें जो अब तक इससे अनभिज्ञ थीं, वे कई
विषयों पर ज्ञान प्राप्त कर अपने को बौद्धिक रूप से समृद्ध कर सकतीं हैं. इन्टरनेट
से प्राप्त सूचनाओं से वे अपने लिए संभावनाओं के विविध द्वार खोल सकती हैं, जीवन
स्तर सुधार सकती हैं. एक आम गृहणी कुकिंग के नए नए टिप्स और डिश सीख अपने खाली
वक़्त को सार्थक कर सकती है. साधारण सिलाई करने वाली एक महिला को दुनिया भर के
डिजाइन और स्टाइल से परिचय होगा, जो उसके हुनर को चमका देगा. ग्रामीण महिलायें
खेती के नए नए आविष्कारों, औजारों, तरीकों और मौसम की जानकारी प्राप्त कर उन्नत
कृषि में सहयोग कर सकतीं हैं. इसके अलावा महिलायें बच्चों की देख भाल के समुचित
टिप्स, आर्थिक जानकारी, स्वास्थ्य ज्ञान इत्यादि अनंत विषयों की जानकारी से खुद को
अप-टू-डेट और स्मार्ट बना सकतीं हैं. पाक-कला या संगीत में पारंगत एक स्त्री चाहे
तो अपने विडियो बना अपलोड कर दूसरों को लाभान्वित करने के साथ साथ अपने हुनर से
कमाई भी कर सकतीं हैं. ऑनलाइन लेन-देन की प्रक्रिया सीख वे टिकट कटाने से ले कर
विभिन्न बिल पेमेंट करना, ऑनलाइन शौपिंग करना भी खुद कर सकतीं हैं. गाहे-बगाहे
बैंक जाने की भी जरुरत नहीं रहेगी.
जब ज्ञान का अथाह सागर
हमारे एक क्लिक पर ठाठें मार सकता है तो क्यूँ मध्यकालीन महिलाओं की तरह खुद को इससे
वंचित रखा जाये. जरुरत है बस एक इच्छा शक्ति की जो देश में इन्टरनेट पर हमारी ३०%
उपस्तिथि को १००% में बदल सकें. डिजिटल होती जा रही दुनिया के साथ कदम मिला कर
चलने के लिए ये अत्यावश्यक है कि महिलायें खुद आगे बढ़ सहयोग करें.
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