गुरु नानाक देव का विचित्र आशीर्वाद एक समय आदरणीय गुरु नानक देव यात्रा करते हुए दुष्ट और विध्वंसक विचारधारा रखने वाले लोगों के गाँव पहुंचे। वहां बसे लोगों नें गुरु नानाक देव और उनके शिष्यों का आदर सत्कार नहीं किया, उन्हें कटु वचन बोले और तिरस्कार किया। इतना सब होने के बाद भी, जाते समय ठिठोली लेते हुए, उन्होंने गुरु नानक देव से आशीर्वाद देने को कहा। जिस पर नानक देव नें मुस्कुराते हुए कहा, “आबाद रहो” भ्रमण करते हुए, कुछ समय बाद गुरु नानक और उनके शिष्य एक दूसरे गाँव, जा पहुंचे। इस गाँव के लोग नेक, सकारात्मक सोच और अच्छे विचारों वाले थे। उन्होंने बड़े भाव से सभी का स्वागत सत्कार किया और जाते समय गुरु नानक देव से आशीर्वाद देने की प्रार्थना की। तब गुरु नानक देव नें कहा, “उजड़ जाओ” इतना बोल कर वह आगे बढ़ गए, तब उनके शिष्य भी गुरु के पीछे पीछे चलने लगे। आगे चल कर उनमें से एक शिष्य खुद को रोक नहीं सका और बोला, "हे देव आप ने बुरे विचारों वाले उद्दंड मनुष्यों को आबाद रहने का आशीर्वाद दिया और सदाचारी शालीन लोगों को उजड़ जाने का कठोर आशीर्वाद क्यों दिया?&quo