बोर्ड परीक्षा के नंबर सिर्फ एक सीढ़ी है मंजिल नहीं
बोर्ड परीक्षा के नंबर सिर्फ एक सीढ़ी है मंजिल नहीं ये बात काश हर बोर्ड परीक्षार्थी और उसके माता पिता समझ जातें। इस बार तो वैसी ही नम्बरों की बरसात है। विपरीत परिस्थितियों में परीक्षाओं का सम्पन्न होना और फिर उनका मूल्यांकन भी स्थिति अनुसार जैसे तैसे कर मानों कोशिश की गई कि कोई दुखी न हो। बहुत नंबर लाने वाले बच्चों को बहुत बधाई और शुभकामनायें, अभी उनका आत्मविश्वास बढ़ा ही हुआ है सो उन्हे कुछ नहीं कहना है, पर जिन बच्चों को अपेक्षाकृत समाज में ट्रेंड कर रहे मार्क्स से कुछ कम हैं या मनोकूल नहीं हैं उनको कुछ कहना है। माता-पिता कृपया ये देखे कि बच्चे ने कितना नंबर अर्जित किया है ना कि ये देख देखे कि कितने कम आयें हैं। बच्चे की उसी उपलब्धि का जश्न भी जरूर मनाएं। अभी बच्चों के आत्मविश्वास का बने रहना ज्यादा आवश्यक है। अभी कोरोना काल में एक शब्द बहुत तेजी से पसर रहा है “अवसाद से आत्महत्या”। बहुत जरूरी है कि हमारे बच्चे सकारात्मक बने रहें। आसान नहीं होगा उन बच्चों के लिए भी अपने आस-पास ऐरे गैरे हर को नम्बरों के ढेर पर खड़े देखना। बहुत जिम्मेदारी है, न सिर्फ पेरेंट्स की बल्कि अन्य लोगों की