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मदर डे स्पेशल मेरी प्यारी माँ, प्रभात खबर इ पेपर में पब्लिश हुई

मदर डे स्पेशल मेरी प्यारी माँ, सादर चरण स्पर्श.    ‘माँ’ शब्द अपने आप में ही काफी परिपूर्ण है. इस एक शब्द में दुनिया की सारी भावनाएं समाहित हैं जिनपर अक्सर स्नेहिल और सहृदय भाव का वर्चस्व रहता है. मैंने महसूस किया है कि इस ममत्व पूर्ण भाव से आप भी बेहद अमीर हैं. पर मुझ अकिंचन के प्रति आपने सदा संकुचन भाव ही रखा इसे बरतने में. बड़ी बड़ी बातें माँ के सन्दर्भ में पढ़ती हूँ जो आप के समक्ष दम तोड़ देती हैं.   बचपन से मुझे पता है कि मैं आपकी चमन की एक जंगली झाड़ हूँ जो खुद ब खुद पनप गयी आपकी कोख में. मुझे आज भी अफ़सोस है कि भ्रूण परिक्षण के गलत नतीजे का मैं परिणाम हूँ. मेरे जन्म पर आपको सदमा सा लग गया था और आपने हॉस्पिटल वालों पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया था. मैं समझ सकती हूँ कि बेटा जान आपने गर्भ में मेरी कितनी देखभाल की थी कि जन्म के पश्चात् आपके दूध पिलाने से इनकार के बावजूद मैं जिन्दा रही.   वह तो बाद में मेरा भाई कृष्णा आपकी खुशियों का तारणहार बन कर जन्मा तो आपकी बेनूर जाती जिन्दगी में रौनके-बहार आ गयी. कभी परदे की ओट से तो कभी आपकी पीठ से सटी मैंने आपको लाड़-प्यार-दुलार का खजाना ल

"आशा साहनी के बहाने" भारतीय भाषा परिषद् की साहित्यिक पत्रिका 'वागर्थ' में प्रकाशित in october 2017

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आशा साहनी के बहाने ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग........ “इतनी रात गए किस ने की होगी फोन?”, हेमा ने आँखें मलते हुए साइड टेबल से चश्मा उठाया. नाम देख चौंक गयी. इतने बरस के बाद... घड़ी भोर के चार बजा रही थी, फोन के दूसरे सिरे पर मौजूद मनहूस चुप्पी उसके नस नस को सिहराने लगी. हेमा अब भी फोन लिए हुए बस अनुमान लगाने की कोशिश कर रही थी कि आखिर ऐसी गलती उनसे हुई कैसे. रिश्तों का जो अथाह बर्फीला समंदर फोन के दूसरे सिरे पर था, उस ग्लेशियर की पिघलने की आशा बिलकुल नगण्य थी. शायद सूरज कभी पश्चिम से उदय हुआ हो, पर उन की हेठी उन की अकड़ उन की सोच ना कभी परिवर्तित हुई है ना परिवर्तनशील होने की गुंजाईश शेष है. पर फोन तो आया और उन्हीं का आया.... .....हेमा ने उठ कर खिड़की से परदा सरकाया पर खिसक गए यादों पर पड़ें पर्दें. दोनों ही जगह उसका सामना हुआ घने अँधेरे से. इस अंधियारे में हाथ बढ़ा रिश्तों के उलझे सिरे को कैसे सुलझाये....   साल दो साल नहीं कोई बीस-बाईस वर्ष बीत गए होंगे. जब आखिरी बार वह “मम्मी” से मिली थी. कैसे भूल सकती है, उस मुलाकात को. उस आखिरी मुलाकात के भी चार साल पहले ही उसे घर निकाला दे दिया