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बदल रहा है माँ का लाडला गृहशोभा फरवरी द्वितीय
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RITA GUPTA
माँ का लाडला बदल रहा केस स्टडी – १ सौम्या और शुभम दोनों कामकाजी हैं. घर में शुभम के वृद्ध पिता जी और एक बेटा भी हैं. परन्तु उनके घरेलु कार्य निर्विघ्न आसानी से सम्पन्न होते हैं क्यूंकि दोनों मिल कर सारे काम करतें हैं और घर को सुव्यवस्थित रखतें हैं. शुभम को जरा भी परेशानी नहीं होती है जब कभी सौम्या टूर या मायके गयी होती है. नतीजा ये है कि दोनों ही अपने कार्यस्थल पर अच्छा परफॉर्म कर रहें हैं. औरत होने के नाते सौम्या पर कोई अतिरिक्त बोझ भी नहीं है. सौम्या का कहना है कि दिन भर के बाद हम रसोई में साथ साथ गपियाते हुए सारे काम निपटा लेतें हैं. वहीँ , शुभम ने बताया कि उसने अपनी कामकाजी माँ को हमेशा दोहरी जिम्मेदारियों के बीच पिसते देखा था और वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी भी वैसे ही जिए. केस स्टडी-२ हर्षित हमेशा से अपनी माँ का लाडला रहा था. जहाँ उसकी छोटी बहन दौड़ दौड़ कर उसकी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करती वहीँ उसकी माँ अपने लाडले को कभी पका हुआ खाना भी खुद निकाल कर खाने नहीं दिया. नतीजा तो उसके पहली बार हॉस्टल जाते ही दिखने लगा था जब वह अपना बिस्तर तक नहीं ठीक कर पाता था.
वृद्धावस्था और अकेलापन – जिम्मेदार कौन, एक पड़ताल लाइव डिस्कशन send to delhi press by mail 26/01/2017 स्वीकृत
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RITA GUPTA
द्धावस्था और अकेलापन – जिम्मेदार कौन, एक पड़ताल लाइव डिस्कशन (व्हाट्स एप ग्रुप में एक खबर पर हुई डिस्कशन पर आधारित. सर जी के निर्देश पर तैयार की गयी) चाय के साथ अखबार पढना मेरी दिनचर्या की प्रथम गतिविधि होती है. वह भी मैं पहले खेल समाचारों से शुरुआत करती हूँ क्यूंकि अंत में प्रथम पृष्ठ की नकारात्मकता और विकृत सच्चाइयों से रूबरू होना ही होता है. आज सुबह खेल समाचार पढ़ते हुए मैंने आखिरी पन्ने पर जैसे ही नज़र दौड़ाई तो एक समाचार पढ़ कर मन ख़राब हो गया. खबर ही कुछ ऐसी थी, “रिटायर्ड निर्देशक का शव बेटे का बाट जोहता रह गया”. एक समय महत्वपूर्ण पद पर आसीन व्यक्ति, जिसकी पत्नी मर चुकी थी एक वृद्धाश्रम में रह रहा था. उनका एकमात्र बेटा विदेश में जा बसा था. जिसे खबर ही एक दिन के बाद मिल सकी और जिसने तुरंत आने में असमर्थता जाहिर किया. देश में बसे रिश्तेदारों ने भी मुखाग्नि देने से इनकार कर दिया. आश्रम के सरंक्षक ने मुखाग्नि दिया. एक समय पैसा पॉवर और पद के मद में जीता हुआ व्यक्ति अंतिम दिनों में वृद्धाश्रम में अजनबियों के बीच रहा और अनाथों सा मरा. आखिर हम कहाँ जा रहें हैं? बेटे