क्या आपको नहीं महसूस होता है कि मीडिया माइंड गेम खेलती है? एक दिन ख़बरिया चैनलों पर किसी एक धर्म के लड़के को दूसरे धर्मावलियों के द्वारा पीटते हुए दिन भर दिखाया जाता है तो दूसरे दिन किसी एक समुदाय के धार्मिक स्थल को दूसरे समुदाय द्वारा नुकसान पहुंचते दिखाया जाता है वो भी रिपीट मोड पर। सवा सौ करोड़ की जनसँख्या वाले देश में जहाँ इतने धरमावली रहतें हैं छोटी-मोटी खटपट होनी आम बात है। चुन कर लायी जाती है वैसी ही खबरों को जिनसे सनसनी फ़ैले , वो हर तरह से कोशिश करतें हैं कि न्यूज़ देखने वाले उत्तेजित हों उद्वेलित हों ताकि उन्हें अगले दिन की ख़बरों का जुगाड़ मिल जाये। मजबूत मनः मष्तिष्क वाले तो ऐसी ख़बरों पर ध्यान ही नहीं देते हैं, राज नेताओं के बाद ये मीडिया वाले भी विभिन्न धर्मावलियों के बीच की खाई को चौड़ा करने में लगे हुए हैं, ऐसी बातें वे भांप लेते हैं पर थोड़े से भी हल्के मनः मष्तिष्क वाले इन ख़बरों से उत्तेजित हो दूसरे धर्म के कृत्यों को गलत ठहराना शुरू कर देतें हैं। वो जो भले कभी अगरबत्ती नहीं दिखातें हैं पर वही धर्म के सबसे बड़े पैरोकार बन बहस कर नफरतों की बेल बढ़ातें हैं। न्यूज़ चैन
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