अहा जिन्दगी के “ आशीर्वाद” हेतु एक पत्र
अहा
जिन्दगी के “ आशीर्वाद” हेतु एक पत्र
सिडनी, ०६/०६/२०१६
मेरी प्यारी माँ,
सादर प्रणाम.
आशा है
तुम कुशल पूर्वक होगी. अभी कल ही तुम्हारे पास बीस दिनों की छुट्टियाँ बिता लौटी
हूँ. पहले जैसी स्थिति होती तो मुझे तुम्हारे पास से लौट कर पत्र लिखने की
आवश्यकता ही नहीं पड़ती. मिलने पर हम वैसे भी अनवरत दिन-रात बातें करतें थे उसके
अलावा फोन पर गप्पें मारतें ही. पत्र तो बीती वक़्त की बात हो गयी है. पर सारी
बातें उन्ही अनखुलीं पोटलियों में सिमटी मेरे साथ ही वापस ऑस्ट्रेलिया चली आयीं.
वैसी ही अनछुई,
जैसा मैं यहाँ से जाते वक़्त दो
साल की यादों को समेट सहेज ले गयी थी.
पिछली बार, दो वर्ष
पहले जब मैं तुम्हारे पास से चलने लगी थी और झुक कर जब चरण-स्पर्श किया तो माथे पर
गरम आंसू की कुछ बूंदे आशीर्वाद स्वरुप मानों टपक पड़ें थें. आज भी माथे पर वह
तरलता महसूस होती है, तुम्हारी
पसीजती गीली ठंडी हथेलियों का मेरे गालों पर स्पर्श कर कहना, “जा बिट्टो सुखी रह”. आज बहुत
याद आ रही है क्यूंकि इस बार तो तुमने कुछ कहना तो दूर देखा तक नहीं .
इधर कुछ महीनो से तुम ने फोन पर
बातें करना छोड़ दिया था, भैया
कहतें माँ को सुनने में दिक्कत आती है सो वह बात नहीं करना चाहती. मुझे अजीब लगता
कि भैया फिर क्यूँ नहीं इलाज करवा रहें माँ के कानों की. माँ, मुझे नहीं पता था कि तुम एक गंभीर बीमारी से जूझ रही हो. एअरपोर्ट
पर भी तुम्हे ना देख, मेरा मन
किया कि यहीं से लौट जाऊ. इतने दिनों के बाद इतनी हुलस कर आ रहीं हूँ फिर भी
तुम मुझे लेने नहीं आयीं. घर पहुँच कर देखा, तुम मुझे पहले से अधिक तंदरुस्त और
गोरी दिख रही थी. तुम अपलक बस देख रही थी, निश्छल
भाव से. माँ तुम्हारी वह निष्क्रिय तटस्थ ठंडी प्रतिक्रिया ने मुझे झिंझोड़ दिया. मुझे
महसूस हुआ कि ये सिर्फ मेरी माँ का शरीर है मेरी माँ नहीं है इसमें.
फिर भैया ने बताया कि कैसे तुम स्मृतिभ्रम की तकलीफ से जूझ
रही हो. ढेढ़ पौने दो साल पहले एक दिन शाम को तुम टहलने गयी तो देर तक वापस ही नहीं
आई. भाभी जब खोजते पहुंची तो तुम पार्क में निःछल बैठी शून्य में ताक रही थी. फिर
शुरू हुआ रास्तों का भूलना , नामों का
भूलना, तारीखों का भूलना , अपनों को भूलना और अब खुद को ही भूलना ..... ये डिमेंशिया की शुरूआती लक्षण थें. जो धीरे धीरे
अल्जाइमर में तब्दील हो गया. जल्द ही तुम ने लोगो को पहचानना बंद कर दिया. भैया ने
मुझे कुछ नहीं बताया कि मुझे दुःख ना पहुंचें.
इन बीस दिनों में मैंने तुमसे एक तरफ़ा वार्तालाप किया. तुम
कुछ देर में मानों उब जाती, मैं
बोलती रह जाती और तुम उठ कर चली जाती.
माँ, मैंने पता किया है यहाँ ऑस्ट्रेलिया में “अल्जाइमर” का बेहतर
इलाज संभव है. तुमको अब मैं अपने पास ले कर आउंगी ताकि तुम ठीक हो सको. जल्द ही
सारी औपचारिकताए पूरी कर हम तुम्हे यहाँ लायेंगे. भैया-भाभी को मेरा प्रणाम कहना.
तुम्हारी ही बिट्टो.
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