थैंक यू डॉक्टर
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दिवस विशेष
डाक्टर्स डे एक जुलाई
थैंक यू डॉक्टर
21/05/2018 को महाराष्ट्र में मुंबई के जे जे हॉस्पिटल में मरीज के
रिश्तेदारों द्वारा दो रेसिडेंट डॉक्टरों की पिटाई करने का मामला सामने आया था
जिसके चलते डॉक्टरों द्वारा तीन दिनों तक काम-बंद आंदोलन जारी रहा। डॉक्टरों के इस
हड़ताल चलते मरीजों का हाल बेहाल हुआ।
09/05/2018 को सिहोर, मध्यप्रदेश के जिला ट्रामा सेंटर में आधी रात उस समय जमकर हंगामा हुआ जब मोटर
सायकल पर सवार होकर आए अज्ञात लोगों ने ड्यूटी पर तैनात डॉ. भविष्य राठौर के साथ
अकारण मारपीट की। देर रात अचानक हुए हमले से घबराए
डॉक्टर जब तक संभलते तब तक दोनों हमलावर भाग भी गए।
04/06/2018 को रांची में दो दिनों की
हड़ताल में रिम्स के विभिन्न विभागों से मरीजों को पलायन हो रहा था। लेकिन, न्यूरो, बर्न, हड्डी विभाग में
भर्ती मरीज बेबस तो न्यूरो विभाग में अधिकांश मरीज बेहोश थे। इनमें से कई
वेंटिलेटर पर थे। वह किसी अनहोनी में भी बाहर नहीं निकल सकते थे। बर्न वार्ड में
कोई 50 तो कोई 70 फीसदी झुलसा हुआ था, उनके परिजन भी
बेबस नजर आ रहे थे।
आए दिन इस प्रकार
की खबरों से हम दो चार होते हैं, हाल के
वर्षों में और इजाफा ही हुआ है। इस तरह की प्रवित्ति डॉक्टरों में एक भय का संचार करती
है, इलाज के दौरान उन्हें कोई भी
कदम उठाने से बाधित करती है। मरीज और डाक्टर का संबंध भक्त और भगवान सरीखा होता है, हम आंख बंद कर उनपर विश्वास करतें
हैं। किसी मरीज की आधी बीमारी तो डाक्टर के सदव्यवहार और आश्वासन से ही ठीक होने
लगती है। एक डाक्टर जब कहता है चिंता की कोई भी बात नहीं है तो मरीज और उसके परिजन
आश्वस्त हो जाते हैं, जीवन
के प्रति आशान्वित हो डाक्टर के प्रति कृतज्ञ हो उठते हैं, अपना जीवन सौंप चिकित्सक में देवदर्शन
करने लगते हैं।
अन्य सभी प्रोफेशन
की तुलना में एक डाक्टर अपने जीवन के अधिक वर्ष खर्च करता है, पढ़ाई पूर्ण करने में।
सुन्दरतम पर जटिल ईश्वरीय सरंचना ‘मानव’ की शारीरिक बनावट को समझना कोई
खेल नहीं। मेरे ख्याल
से डाक्टर को एक आम इंसान ही समझा जाए तो बेहतर होगा। भगवान बना देने से अपेक्षाएं
भी आसमान छूने लगतीं हैं और भावनाएं भड़क उठतीं हैं जब धरती के इस तथाकथित भगवान से
अपेक्षित आशाएं टूटती हैं। सिलीगुड़ी में रहने वाले डॉक्टर अजीत किशोर गुप्ता
कहतें हैं कि कोई भी डॉक्टर कभी नहीं चाहता है कि मरीज का कुछ बुरा हो, भले ही वह पैसों के पीछे भागने
वाला कोई डॉक्टर ही क्यों न हो। कई बार परिस्थितियां बेकाबू हो जाते हैं। डा. अजीत
आगे कहते हैं कि गले से रोटी नहीं उतरती है जिस दिन कोई मरीज इलाज के दौरान मर
जाता है।
मरीज
और डॉक्टर का रिश्ता भक्त और भगवान जैसा पवित्र माना जाता है लेकिन जैसे जैसे
चिकित्सा पेशे का विस्तार होता जा रहा है, डॉक्टरों के प्रति सम्मान की
भावना में कमी आ रही है।
इसके आलावा इनके साथ मारपीट की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। आये दिन होने वाली इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अब
सरकार एक कड़े कानून पर काम कर रही है। एक
इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी बनाकर ऐसे मामलों और शिकायतों की जांच करने को कहा था.
कमेटी ने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कुछ कड़े
प्रावधानों की सिफारिश की है।
इस में कोई दो राय नहीं कि “चिकित्सा सेवा” हर
कार्य से श्रेष्ठ है और चिकित्सकों को मान देना हमारा धर्म। अपवाद किस क्षेत्र में
नहीं होते हैं ¿ यहाँ
भी इस सेवा कर्म को कलंकित करने वाले समाज के दुश्मन बहुतायत में हैं। जरूरत है उन्हें
चिन्हित कर बहिष्कार करने का, सजा देने
का काम तो कानून करेगी।
हर वर्ष की भांति इस
साल भी “राष्ट्रीय
चिकित्सक दिवस” 2018, रविवार 1 जुलाई को भारत के
लोगों द्वारा मनाया जायेगा। भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक भारत रत्न डॉ बिधान चन्द्र रॉय (डॉ.बी.सी.रॉय) को
श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिये 1 जुलाई को उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर इसे मनाया
जाता है। आईए इस खास दिवस को हम सब धरती के भगवान को कहें “थैंक यू डॉक्टर “।
द्वारा
रीता गुप्ता
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