
गुनगुन थानवी आज की अहिल्या फेसबुक/ट्विटर पर अचानक गुनगुन थानवी की पोस्ट ट्रेंड करने लगी है। ये पोस्ट असल में वर्षों से पाषाण बनी एक अहिल्या के बोल हैं। इतने दिनों तक गूंगी बनी एक डरी सहमी गुड़िया की आँसुओं का बाँध टूटा है, जो शब्दों के रूप में फेसबुक पर चर्चित होने के साथ ही समाज की ढँकी छुपी एक कलुषित चरित्र पर पड़ी काली चादर को खींच पूरी धृष्टता से निर्वस्त्र किया है। ऊँगली तो उसने एक बुढ़ाते स्थापित साहित्यकार की विकृत यौनेक्षा की तरफ़ इंगित किया है। थप्पड़ तो उसने एक नामी गिरामी मृत व्यक्ति को मारा है पर उसकी गूँज से ही बहुतेरे अपने गाल सहलाने लगे हैं। लोग सवाल उठा रहें हैं कि इतने वर्षों के बाद अब ही क्यों इस राज को उठाया , पहले कभी क्यों नहीं। तो इसका उत्तर यही है वर्षो उसने शिला बन हिम्मत रूपी राम की प्रतीक्षा की, अब जा कर वो राम मिले तो पाषाण से शब्द निर्झरणी फूट पड़ी। इंद्र की तरह आभा मंडल वाले उस दिग्गज के समक्ष एक सात साल की अबूझ नादान की क्या बिसात। खुद माता-पिता ने भी नहीं समझा होगा उसकी सिसकियों या बदलते व्...