सुनो बेटा "माँ मुझे अपनी सहेली निशा के घर जाना है ,उसने बहुत अच्छे से नोट लिखा है आज क्लास में .कल टेस्ट है ,एक बार उस के घर जा कर पढ़ आती हूँ .चौक के पास ही तो रहती है स्कूटी से तुरंत ही जा कर आ जाउंगी ", राशि ने अपनी माँ सुधा से पूछा . "ये कोई वक़्त है लड़कियों के घर से बाहर निकलने की ? देख रही हूँ सुधा तूने इसे कुछ ज्यादा ही छूट दे रखा है . कुछ ऊंच-नीच हो जाएगी तो सर धुनते रहना जीवन भर ", माँ तो बाद में बोलती ,राशि की दादी ही पहले बोल उठी . "तुम्हे क्लास में ही उससे नोट ले लेनी चाहिए थी ,आखिर रात होने की तुमने इन्तजार ही क्यूँ किया ?",पापा ने घर में घुसते ही प्रश्न उछाल दिया . "बेटा उस टॉपिक को छोड ,तुम बाकी पढ़ लो, अब सही बात है ना रात नौ बजे तुम्हारा बाहर जाना उचित नहीं ", माँ ने भी समझाईश वाले टोन में कहा . मन मसोस राशि ,बैठ कर पढने लगी .कोई एक घंटे के बाद उसका भाई ,अपने कमरे से निकला और "माँ शाम से बाहर नहीं निकला हूँ एक चक्कर लगा कर आता हूँ " का जुमला उछाल ,अपनी बाइक ले बाहर चला गया .कहीं से कोई आवाज नहीं आई .किसी ने ना कुछ प...