Posts

Showing posts from 2021

माँ . तुम उदास मत होना !

  माँ . तुम उदास मत होना  !                                                माँ ने उन दिनों कवितायेँ लिखीं , जब लड़कियों के कविता लिखने का मतलब था किसी के प्रेम में पड़ना और  बिगड़ जाना , कॉलेज की कॉपियों के पन्नों के बीच छुपा कर रखती माँ कि कोई पढ़ न ले उनकी इबारत सहेज कर ले आयीं ससुराल पर उन्हें पढ़ने की न  फुर्सत मिली , न इजाज़त  ! माँ ने जब सुना , उनकी शादी के लिए रिश्ता आया है , कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बी कॉम पास लड़के का , माँ ने कहा , मुझे नहीं करनी अंग्रेजी दां से शादी ! उसे हिंदी में लिखना पढना आना चाहिए ! नाना ने दादा तक पहुंचा दी बेटी की यह मांग और पिता ने हिंदी में अपने भावी ससुर को पत्र लिखा ! माँ ने पत्र पढ़ा तो चेहरा रक्ताभ हो आया जैसे उनके पिता को नहीं , उनको लिखा गया हो प्रेमपत्र शरमाते हुए माँ ने कहा -- '' इनकी हिंदी तो म...

बैंगन नहीं टैंगन

Image
  बैंगन नहीं टैंगन        मधु को देख इशिता चौंक गई, अभी बमुश्किल छ: महीने हुए होंगे जब वह पहली बार उससे मिली थी . झारखंड के एक छोटी सी जगह गुमला से सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करने वह ज़िद्द कर के घर से आई थी . चेहरे से टपकते भोलेपन ने उसका मन मोह लिया था, पढ़ाई के प्रति उसकी लगन और जज़्बे ने सोने पर सुहागे का काम किया था उसके इमेज़ को इशिता के दिल में जगह बनाने में . काश कि ये भोलापन और मासूमियत महानगर की भीड़ में अपना चेहरा न बदल ले . पर उसकी शंका निर्मूल साबित नहीं हुई, मधु की बदली वेशभूषा और नई बोली उसका नया परिचय दे रही थी . इशिता को आज उसके बैच की कक्षा लेनी थी . उन्होंने देखा कि पढ़ाई के मामले में वह अब भी गंभीर ही थी और ये बात उसे सुकून दे रही थी . वर्षों से वह कोचिंग सेंटर में पढ़ा रही थी और उसे दुख होता था उन लड़कियों को देख कर जो अपने अपने गाँव क़स्बे या शहरों से यहाँ आ कर यहाँ की चकाचौंध में खो जाती थीं . उच्च ख़्वाबों की गठरी कुछ ही दिनों के बाद, यहाँ के जीवन को अपनाने के चक्कर में बिखर जाते थे . अपनी हीन भावना से लड़ते हुए, अपने क...